क्या केवल 17 पैसे इन्कम टॅक्स देनेवाले देशके मालिक होते है? तो 83 पैसे देनवाले आम लोग कौन होते हैं? - प्रो.हरी नरके
आजकल बारबार सुनने में आता हैं की, We the Tax Payers हम टॅक्स पेयर का पैसा सरकार उनपर कैसे खर्चा कर सकती हैं?
मतलब हम इन्कम टॅक्स देते है तो क्या सचमें सिर्फ हम ही देश के मालिक बनते है?
दुनिया में ऎसा कौनसा देश हैं जहॉपर टॅक्स नही देना पडता हैं? टॅक्स देना क्या देशपर मेहरबानी करना हैं? आप उंचे लोग टॅक्सपेयर हो तो क्या गरिब लोग टॅक्स नही देते हैं?
खासकरके जो मुठ्ठीभर लोक इनकम टॅक्स देते उनको क्यों ऎसा लगता हैं की देश केवल उनके ही पैसो से चलता हैं?
1 फरवरी को देश का बजट खुल गया. निर्मला सीतारमन द्वारा प्रस्तुत किये गये 2020 -21 के इस बजेट में 30 लाख करोड से ज्यादा का खरचा मोदी सरकार करेगी. इस वर्ष में जो पैसा टॅक्सद्वार सरकार के पास जमा होगा उसको अगर एका रूपिया माना गया तो उसमें से सिर्फ और सिर्फ 17 पैसे इनकम टॅक्स द्वारा मिलते हैं. बाकी 83 पैसे जिनसे मिलते हैं, क्या वे टॅक्सपेयर नही हैं?
हां, अलग अलग इनडायरेक्ट टॅक्सद्वारा देशके सभी नागरिक { जिनमें गरिब भी हैं, भिकारी भी हैं, हर नागरिक हैं } सरकार को एक रुपिया मे सें 83 पैसा देते हैं. लेकीन उनके बारे मे बात करते समय ये उंचे लोग गाली देनेवाली भासा का प्रयोग क्यों करते हैं? निर्भत्सना क्यों करते हैं?
जो कोई नागरिक चाय पिता हैं, रोटी खाता हैं, कपडा पहनता हैं, मकान में या जुग्गी झोपडी में रहता है, इन सभी चिजोपर जी एस टी देता हैं वह हर एक नागरिक देश का टॅक्सपेयर हैं. जी एस टी द्वारा सरकार को ज्यों पैसा मिलता हैं वह इनकम टॅक्स से भी ज्यादा होता हैं. कार्पोरेट कंपनीया जब टॅक्स देती हैं, उत्पाद [एक्साईज] कर देती हैं, सीमा शुल्क [कस्टम] देती हैं तो वह सभी पैसा उनके द्वारा बनायी गयी चिजे जो खरिदते हैं उनके जेब से आता हैं. केवल इनकम टॅक्सवालों के जेब से नही. क्योंकी यह इनडायरेक्ट टॅक्स हैं तो उसकी चर्चा नही होती हैं.
जब भी बजट आता हैं तो चर्चा सिर्फ और सिर्फ इनकम टॅक्स की क्यों होती हैं? मिडीया की यह साजिश तो नहीं?
अब जब कभी भी यह बात सुने तो कृपया इसे याद जरूर रखियेगा.
और एक बात, सरकारी और निजी कंपनीओं मे काम करनेवाले कर्मचारी ही ज्यादातर इनकम टॅक्स देते हैं. कारोबार करनेवाले तो 90 फिसदी लोग इनकम टॅक्स की चोरी करते हैं.
कर्मचारी हर समाज का होता हैं. जिसमें अनु.जाती/ जनजाती/ ओबीसी/ मायनॉरिटी/ महिलाए ही ज्यादातर होती हैं. इसलिए यह भ्रम ठीक नही की सिर्फ विशिष्ट समाजकें ही लोग करदाता हैं. तो यह कर्मचारी याने सभी समाज के लोग भी आयकर देते हैं, सुनते हों मालिक लोग? उंचे लोगों यह भ्रम दुर करो की सिर्फ आपही देशको चलाते हों!
-प्रो.हरी नरके, 24/02/2020
https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_at_Glance/bag5.pdf
Receipts (In ` crore) 2020-21
REVENUE RECEIPTS
1. Tax Revenue
Gross Tax Revenue 2423020
a. Corporation Tax 681000
b. Taxes on Income 638000
c. Wealth Tax 41 .. .. ..
d. Customs 138000
e. Union Excise Duties 267000
f. Service Tax 1020
g. GST 690500
- CGST 580000
- IGST 28945 28000 .... ....
- GST Compensation Cess 110500
h. Taxes of Union Territories 7500
Less - NCCD transferred to
the NCCF/NDRF 2930
Less - State’s share 784181
1a Centre’s Net Tax
Revenue 1635909
2. Non-Tax Revenue 385017
Interest receipts 11042
Dividends and Profits 155395
External Grants 812
Other Non Tax Revenue 215465
Receipts of Union
Territories 2303
Total- Revenue Receipts (1a + 2) 2020926
3. CAPITAL RECEIPTS
A. Non-debt Receipts 224967
(i) Recoveries of loans and
advances@ 14967
(ii) Disinvestment Receipts 210000
B. Debt Receipts* 849340
Total Capital Receipts (A+B) 1074306
4. Draw-Down of Cash
Balance -53003
Total Receipts (1a+2+3) 3095233
https://www.indiabudget.gov.in/budgetglance.php
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